Property New Rule: अगर आप भी किसी प्रकार की संपत्ति खरीदने की प्लानिंग कर रहे है, तो आपको उसकी रजिस्ट्री करवानी होगी। रजिस्ट्री के बाद ही आप उस संपत्ति के मालिक बन सकते हैं, हम आपकी जानकारी के लिए बता दे कि यह आपकी गलतफहमी होती है कि अकेली रजिस्ट्री करवाने पर आपको मालिकाना हक मिल जाएगा। रजिस्ट्री के साथ-साथ आपको एक डॉक्यूमेंट की भी हेल्प लेनी पड़ती है, तभी आप अपनी प्रॉपर्टी के हकदार बनते हो। आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
रजिस्ट्री से जुड़े हुए नए नियम
रजिस्ट्री भले ही घर व जमीन के संबंध में बहुत महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट हो, परंतु यह आपको प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक दिलाना सुनिश्चित नहीं करता। रजिस्ट्री के साथ-साथ म्यूटेशन करवाना भी उतना ही जरूरी है, इसका मतलब नामांतरण होता है। अगर आप भी इस प्रकार की गलतफहमी में कि मात्र रजिस्ट्री से आपका काम चल जाएगा, तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। भविष्य में आपको किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो इसके लिए जरूरी है कि आप रजिस्ट्री के साथ-साथ म्यूटेशन भी अवश्य करवा ले।
तीन प्रकार की संपत्ति
सेल डीड और नामांतरण दो अलग-अलग चीज होती है, आमतौर पर लोग सेल और नामांतरण को एक ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। किसी भी संपत्ति का जब तक नामांतरण नहीं किया जा सकता, जब तक कोई भी व्यक्ति उसे अपनी नहीं मान लेता।भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो, फिर भी संपत्ति उसकी नहीं मानी जाएगी। भारत में अचल संपत्तियां मुख्य रूप से तीन प्रकार के मानी जाती है, पहले खेत की जमीन- दूसरी आवासीय जमीन तीसरी औद्योगिक जमीन, तीनों प्रकार की जमीनों का नामांतरण अलग-अलग तरीके से होता है और अलग-अलग स्थान पर होता है।
नामांतरण की प्रकिया
जब भी कभी भी किसी संपत्ति को सेल डीड के माध्यम से खरीदा जाता है या किसी अन्य साधन से अर्जित किया जाता है, तब उसे डॉक्यूमेंट के साथ संबंधित कार्यालय पर उपस्थित होकर आपको संपत्ति का नामांतरण भी करवाना होता है। जो जमीन खेती की होती है, उसका नामांतरण पटवारी से करवाया जाता है। वही आवासीय जमीन की बात की जाए, तो इसका रिकॉर्ड वहां के नगर निगम के पास होता है।